कैशलेस मैं तो फायदे है । तो नुकसान कंहा है
जनता तो आज कैशलैस होने को तैयार है, समस्या तो साधनों की उपलब्धता की है.
दिल्ली मैट्रो इसका बेजोंड़ उदाहरण है, मैंट्रो की लाईन की दिक्कत से उबरने के लिए लोगों ने तुरंत मैट्रो कार्ड का विकल्प चुना। वो बात शहर की थी तो काम हो गया पर छोटे गांव जंहा पूरा काम ही खुल्ले पैसे का है उसका क्या
दिल्ली मैट्रो इसका बेजोंड़ उदाहरण है, मैंट्रो की लाईन की दिक्कत से उबरने के लिए लोगों ने तुरंत मैट्रो कार्ड का विकल्प चुना। वो बात शहर की थी तो काम हो गया पर छोटे गांव जंहा पूरा काम ही खुल्ले पैसे का है उसका क्या
होना ये चाहिए था कि गांव-गांव में स्वाईप मशीन पहुंचानी चाहिए उससे डेबिट कार्ड से किए जाने वाले ट्रांजैक्सन को चार्ज मुक्त किया जाना चाहिए.। और उसका उपयोग लोगों को सीखना पहले जरुरी नही कोई भी व्यक्ति उन्हें लूट सकता है।
लोगों ने एटीएम की फैसलिटी आने के बाद, अपने पास कैश कम रखना शुरू किया।परन्तू फिर क्या हुआ जैसे ही एटीएम लोगों की आदत में आया,सरकार ने आरबीआई के माध्यम से चार ट्रांजैक्सन के बाद चार्ज लगाना शुरू कर दिया. इसी प्रकार डेबीट कार्ड के द्वारा स्वाईप मशीन और औनलाईन की जाने वाली लेनदेन पर भी चार्ज काटा जाने लगा। लोग इन असुविधाओं की वजह से डेबिट कार्ड से की जाने वाली लेनदेन से परहेज करते है।
स्वाईप मशीन से की जाने वाली पेमैंट को जब तक चार्ज मुक्त रखा जाएगा , लोग कैश से डेबिट कार्ड को ही अपनाएगे, लेकिन लगता है कि सरकार लोगों को कर्ज भोगी बनाना चाहती है ,
स्वाईप मशीन से की जाने वाली पेमैंट को जब तक चार्ज मुक्त रखा जाएगा , लोग कैश से डेबिट कार्ड को ही अपनाएगे, लेकिन लगता है कि सरकार लोगों को कर्ज भोगी बनाना चाहती है ,
शायद इसी लिए डेबिट कार्ड से की जाने वाली लेनदेन पर तो चार्ज है परन्तु कैर्डिट कार्ड से की जाने वाली पेमैंट सिर्फ चार्जमुक्त ही नहीं, उसे प्रोत्साहन देने के लिए अनेकों स्किम है। दिक्कत लोगों की नहीं सरकारी व्यवस्था कि है।
सरकार ने पहले दिन कहा कि काला धन निकालने के लिए 500-1000 के नोटों की नोटबंदी की जब उससे कुछ निकला नहीं तो अब नया राग कैशलैस का शुरू किया है। जबकी न तो इससे कालाधन ख़त्म करने का ही उद्देश्य हासिल हो सका और न ही कैशलैस का ।
कैशलैस करना है तो गांव-गांव तक बैंकिंग पहुचाओं,अभी तो गांव के लोगों को 50 -100 सौ किलोमीटर तक जाना पड़ता है ,पैसा जमा कराने। पुरे इलाके में एक ही बैंक होने से पुरे पुरे दिन की दिहाड़ी खराब कर के बैंक का काम करवाना पड़ता है। यार मज़ाक मत लेना मेरे ही गांव का ज्यादातर तो लिंक ही फेल रहता है ।
यहाँ बात BJP, Congress या किसी और पार्टी या विचारधारा की नहीं है। बात देश की है।
इसलिए जरुरी है की हम सब सतर्क और जागरूक हों
इसलिए जरुरी है की हम सब सतर्क और जागरूक हों